मिर्ज़ापुर 2 के स्क्रीनप्ले में ऐसी दसियों बाते हैं जो आपत्तिजनक हैं, ससुर बहु का हौलनाक रिश्ता, बिना मतलब की गालियां, लचर फिलर्स, धीमा होता कथानक या बेहद बचकाना क्लाइमेक्स; ऐसे कई पॉइंट्स हैं जिसको टेक्निकल समझ न रखने वाले भी ये ज़रूर कह सकते हैं कि ‘नहीं यार, मज़ा नहीं आया’ इन सबसे इतर, एक आपत्ति ऐसी उठी है जो किताबों से दूरी रखने वाला न समझ पायेगा लेकिन वो ख़ामी इन सारे टेक्निकल लापरवाहियों पर भारी है। Series के तीसरे एपिसोड में एक सीन है कि जब कुलभूषण खरबंदा नॉवेल पढ़ रहे हैं, voice-over चल रहा है “बलराज