PC:Youtube बहुत ही मीठे स्वरों के साथ वह गलियों में घूमता हुआ कहता – “बच्चों को बहलानेवाला, खिलौनेवाला।” इस अधूरे वाक्य को वह ऐसे विचित्र किन्तु मादक-मधुर ढंग से गाकर कहता कि सुननेवाले एक बार अस्थिर हो उठते। उनके स्नेहाभिषिक्त कंठ से फूटा हुआ उपयुक्त गान सुनकर निकट के मकानों में हलचल मच जाती। छोटे-छोटे […]
हिन्दी का श्रेष्ठ और कालजयी साहित्य
जून का महीना था, दोपहर का समय और धूप कड़ी थी। ड्रिल-मास्टर साहब ड्रिल करा रहे थे। मास्टर साहब ने लड़कों को एक लाइन में खड़े होकर डबलमार्च करने का आर्डर दिया। लड़कों की लाइन ने मैदान का एक चक्कर पूरा कर दूसरा आरम्भ किया था कि अनन्तराम गिर पड़ा। मास्टर साहब ने पुकारा, ‘हाल्ट!’ […]
घुमक्कड़-धर्म सार्वदैशिक विश्वव्यापी घर्म है। इस पंथ में किसी के आने की मनादी नहीं है, इसलिए यदि देश की तरुणियाँ भी घुमक्कड़ बनने की इच्छा रखें, तो यह खुशी की बात है। स्त्री होने से वह साहसहीन है, उसमें अज्ञात दिशाओं और देशों में विचरने के संकल्प का अभाव है – ऐसी बात नहीं है। […]
किसी-किसी पाठक को भ्रम हो सकता है, कि धर्म और आधुनिक घुमक्कड़ी में विरोध है। लेकिन धर्म से घुमक्कड़ी का विरोध कैसे हो सकता है, जबकि हम जानते हैं कि प्रथम श्रेणी के घुमक्कड़ ही कितने ही धर्मों के संस्थापक हुए, और कितनों ने धर्म से संबंधित हो अद्भुत साहस का परिचय देते दुनिया के […]
घुमक्कड़ को दुनिया में विचरना है, उसे अपने जीवन को नदी के प्रवाह की तरह सतत प्रवाहित रखना है, इसीलिए उसे प्रवाह में बाधा डालने वाली बातों से सावधान रहना है। ऐसी बाधक बातों में कुछ के बारे में कहा जा चुका है, लेकिन जो सबसे बड़ी बाधा तरुण के मार्ग में आती है, वह […]
लाला झाऊलाल को खाने-पीने की कमी नहीं थी। काशी के ठठेरी बाजार में मकान था। नीचे की दुकानों से 100 रुपया मासिक के करीब किराया उतर आता था। कच्चे-बच्चे अभी थे नहीं, सिर्फ दो प्राणी का खर्च था। अच्छा खाते थे, अच्छा पहनते थे। पर ढाई सौ रुपए तो एक साथ कभी आंख सेंकने के […]