वो कहानी मैंने अपनी आंखों के सामने घटित होते देखी थी, सन १९४५ में जब लाहौर में एक शादी वाले घर से निमंत्रण आया था, और मैं उस दिन वहां शामिल थी, जब घर में शादी ब्याह के गीतों वाला दिन बैठाया जाता है. उस दिन घर की मालकिन भी उस समागम में थी, और […]
अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की बिलकुल नयी बीवी है। एक तो नयी इस बात से कि वह अपने पति की दूसरी बीवी है, सो उसका पति ‘दुहाजू’ हुआ। जू का मतलब अगर ‘जून’ हो तो इसका मतलब निकला ‘दूसरी जून में पड़ा चुका आदमी’, यानी […]
अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर… अचानक मेरे सामने कई लोग आकर खडे हो गए हैं, जिन्होंने कमर से नीचे कोई कपड़ा नहीं पहना हुआ है. पता नहीं मैंने कहाँ पढा था कि खानाबदोश औरतें अपनी कमर से अपनी घघरी कभी नहीं उतारती हैं. मैली घघरी बदलनी होतो सिर की ओर से नई घघरी पहनकर, अंदर […]